मां शैलपुत्री

आज है नवरात्र का पहला दिन, देवी दुर्गा के नौ रूपो में सबसे पहला रूप शैलपुत्री का हैं। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इन नाम शैलपुत्री रखा गया। कई लोगों को यह नहीं पता होता कि कौन से दिन किस देवी की पूजा करनी है और किस विधान से करनी है। अगर आप मां दुर्गा के पहले स्वरूप की पूजा पूरे विधि विधान से करते है तो आपको मिलने वाला फल दोगुना हो जाएगा। कहा जाता है कि महिलाओं के लिए मां शैलपुत्री की पूजा काफी शुभ मानी गई है।

मां शैलपुत्री की पूजा

पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा पूरे विधि-विधान से करने के लिए सबसे पहले उस जगह को पहले साफ करें और उस लकड़ी के एक पाटे पर मां शैलपुत्री की तस्वीर रखें। उसे शुद्ध जल से साफ करें। कलश स्थापित करने के लिए लड़की के पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं। फिर उसमें शुद्ध जल भरें, आम के पत्ते लगाएं और पानी वाला नारियल उस कलश पर रखें। इसके बाद उस कलश पर रोली से स्वास्तिक का निशान बनाएं। अब उस कलश को स्थापित कर दें। नारियल पर कलावा और चुनरी भी बांधें। अब मां शैलपुत्री को कुमकुम लगाएं। चुनरी उढ़ाएं और घी का दीपक जलाए। अज्ञारी में सुपारी, लोंग, घी, प्रसाद इत्यादि का भोग लगाएं। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और मां शैलपुत्री की कथा पढ़ें। साथ ही मां शैलपुत्री के मंत्र का उच्चारण भी करें। इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिक्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों को भी आमंत्रित किया जाता किया जाता है। साथ ही मां शैलपुत्री के मंत्र का उच्चारण भी करें।

मां शैलपुत्री जी का मंत्र

वंदे वाद्द्रिछतलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम |
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्‌ ||

मां शैलपुत्री जी की आरती

शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।।